Tuesday, 21 March 2017

14 saal ki age mein ek anjaan 35 saal ke tagde aadmi ne mujhe noch dala

दोस्तों मेरा नाम राधिका शर्मा है मैं उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ मेरे पापा सरकारी नोकर हैं आज मेरी उम्र २२ साल हो चुकी है और मैं आपसे अपनी जिंदगी के भयानक दिन शेयर करना चाहती हूँ आज जब मैं उस वक़्त को सोचती हूँ तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं .
बात उस समय की है जब मैं १४ साल की थी आठवीं में पढ़ती थी अपने मा बाप की इकलोती बेटी थी और बहुत नाजो की साथ पल रही थी . सब मेरा बहुत ख्याल रखते . और चोदाह साल की उम्र में मेरा जिस्म १८ का लगने लगा था भरा हुआ बदन गोल चेहरा ब्रैस्ट ३० की हो चुकी थी और मेरे कुल्हे घुमावदार काफी बहार को उभरे हेय ३२ को पार कर रहे थे . इसलिए हर आदमी बच्चा बूढा जवान मुझे आगे और पीछे से देखते रह जाते थे . हमारे घर के पास एक अंकल रहते थे उनकी उम्र करीब ३५ साल रही होगी हस्त पुस्त लम्बे चोडे कद काठी वाले इंसान थे उनकी वाइफ की डेथ हो गयी थी वो अकेले ही रहते थे और एक्सरसाइज के शोकीन थे कभी जिम जाना नहीं भूलते थे वो भी जब मुझे देख लेते तो मुझसे बातें करने के बहाने मेरे बूब्स को घूरते रहते थे और जब मैं आगे बढती तो पीछे से मुझे देखते ही रहते थे बहुत दूर जाकर मैं पीछे देखती तो वो मुझे पीछे से देखते रहते थे वो अक्सर हमारे घर आते रहते थे पापा और उनकी काफी गहरी दोस्ती थी . छुट्टी के दिन तो दोनों घर में गप्पे लड़ते और पेग लगते रहते थे एक दिन मम्मी छुट्टी के दिन मुम्मी बाजार गयी हुई थी और अंकल घर पर आ गये मुझसे कहने लगे की किरण बेटी कैसे हो आप बड़े प्यारी लग रहे हो आज मैंने स्लेक्सी और तेअशिर्ट पहनी थी मेरा फिगर पूरा बहार फैला हुआ था और अंकल मुझे घूरने लगे कहने लगे पापा किधर हैं बीटा मैंने कहा कमरे में आइये जैसे मैं पीछे घूमी अंकल से रुका नहीं गया स्लेक्सी से मेरी बेक पूरी बहार निकली हुई दिख रही थी अंकल ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और कहने लगे आप हमसे बात नहीं करती हो भाई मैंने कहा नहीं अंकल ऐसी बात नहीं है मुझे अपनी कमर पर कुछ गर्म गर्म लोहे की मोती रोड की तरह मुझे महसूस दिया मैं अंकल को हटा कर जल्दी से आगे बढ़ गयी आइये अंकल और मैंने जैसे ही पीछे अंकल की पेंट की तरफ देखा तो अंकल की पेंट में कुछ बहुत ही लम्बा मोटा दिखाई दे रहा था जो अंकल की पेंट को फाड़ने की कोशिश में था मैं जल्दी से पापा के पास गयी पापा ने कहा जाओ बीटा पानी और कुछ खाने को लाओ अंकल ने शराब निकली और मुझे घूरने लगी वो दरवाजे के सामने बैठ गए वहां से किचन साफ दिखाई पड़ता था अंकल मुझे पीछे से घूर रहे थे और शराब पी रहे थे शाम तक ऐसे ही चलता रहा पापा ने कहा बीटा अंकल को गेट तक छोड़ दो और अंकल ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और चल दिए और दरवाजे पर जाकर उन्होंने फिर मुझे पीछे से पकड़ लिया और कहने लगा बीटा आप बहुत प्यारी हो कभी हमारे घर भी आया करो मैंने कहा जरूर आउंगी अंकल और वो थोड़े नीचे को झुके और उनकी लोहे की वो मोती रोड मेरी टैंगो के बीच रगड़ खाती हुई मेरी गांड पर से होती हुई कमर तक पहुँच गयी मैं जल्दी से हट गयी लेकिन अंकल पागल से हो चुके थे मुझे पाने की ख्वाहिश ने उन्हें अब मदहोश कर दिया था वो पापअ के पास गए और कहने लगी यर किरण बेटी को घर में कोण पढाता है उन्होंने कहा कोई नहीं तो अंकल ने कहा यर बच्चो का भविष्य ख़राब क्यों कर रहे हो मैं तो शाम को जल्दी आ जाता हूँ इसको मेरे घर पर भेज दिया करो पापा ने कहा हाँ यर ऐसा हो जाए तो मेरी मुस्किल आसन हो जायेगी मैं तो खुद सोच रहा था इस बारे में .. ठीक है मैं कल से भेज दूंगा मेरी समझ गयी अंकल मुझे छोड़ेंगे नहीं मैंने रात को पापा से कहा के पापा मैं नहीं जाउंगी उन्होंने कहा क्यों अंकल बहुत अच्छे हैं तुम्हे अच्छे से पढ़ाएंगे और मम्मी ने भी मुझे जबरदस्ती अगले दिन अंकल के घर भेज दिया मैंने फरोक पहनी हुई थी और नीचे स्लेक्सी मुझे वहां देखते ही अंकल की आँखे फटी की फटी रह गयी और वो मुस्कुराने लगे वो उठ कर मेरे पास आये मुझे प्यार करते ही अपनी बांहों में खींच कर उठा लिया उनका मोटा लोडा मेरी टांगो के बीच था और मैं उसी पर टिकी हुई थी मुझे अपनी चूत किसी गर्म मोती रॉड पर महसूस हो रही थी और उनके हाथ मेरे कुलहो को थामे थे और मेरी चूचियां उनकी छाती पर दबी हुई थी ऐसा लगा जैसे किसी बड़े राक्षश ने मुझे जकड लिया मैंने कहा अंकल छोड़ो मुझे प्लीज मुझे पढ़ा दो वो कहने लगे मैं जरूर पढ़ूंगा लेकिन प्लीज आप आज मुझे मत रोको जीवन भर तुम जो कहोगी लाकर दूंगा तुम्हारी गुलामी करूंगा मैंने कहा नहीं मुझे जाने दीजिये छोड़ दीजिये लेकिन उन्होंने तो मेरे होंथो को अपने मूह में भर लिया और अपनी जीभ मेरे मूह में घुसा घुसा कर मुझसे चूसने लगे फिर उन्होंने मेरे सारे कपडे जबरदस्ती उतार दिए और अपने भी और फिर मुझे उसी तरह उठा लिया उन्होंने मुझे अपने लोडे पर बिठा लिया सीधा मेरी टांगो के पार निकल रहा था और मेरी छूट उस पर टिकी थी मुझे डर लग रहा था मैं रो रही थी छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन उन्होंने छूटने नहीं दिया और फिर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और अपने हाथो से मुझे पकड़ लिया और मेरी छूट को चूसने लगे खींच खींच कर अन्दर से सबकुछ कींच कर पी जाना चाहते थे मेरे अन्दर से भी रस निकालने लगा और पीते रहे जीभ मेरी छूट में घुसा घुसा कर चाटने लगे और फिर मेरी टैंगो को उठा कर पकड़ लिया और अपना मोटा लोडा मेरी छोटी से छूट पर रगड़ने लगे उसकी सख्त रगड़ से मुझे दर्द हो रहा था फिर उन्होंने मेरी छूट पर अपने लोडे का तोप लगाया और धीरे धीर प्रेस करने लगे जैसे किसी छोटी से रबड़ में कुछ घुसायें उसी तरफ मेरी छूट टोपे पर फ़ैल रही थी और मैं चटपटा रही थी पट की आवाज़ के साथ उनका टोपा मेरी छूट के अन्दर उतर गया और मेरी छूट टाइट रबड़ की तरह खिंच कर टोपे को बुरी तरह जाकड लिया धीरे धीरे उन्होंने धक्के लगते लगाते पूरा अन्दर उतार दिया मैं चिल्ला रही थी और अंकल धक्के पे धक्का लगा रहे थे मेरी छूट पूरी तरह रगड़े खाकर छिल गयी थी चारो तरफ से खून बह रहा था लेकिन अंकल धक्के लगाने में मशगूल थे और दबा दबा के पेल रहे थी थोड़ी देर बाद अंकल के धक्के और तेज हो गए और फिर मुझे अहसास हुआ जैसे किसी ने मेरी छूट में गर्म खोलता हुआ कोई चिकना पदार्थ भर दिया वो धक्के मार रहे थे और पानी निकलते जा रहा था थोड़ी देर बाद वो ऐसे ही मेरे ऊपर लेट गय और फिर उनका लोडा ढीला पद गया वो साइड होकर लेट गए और हांफने लगे मैं तो हिल भी नहीं पा रही थी फिर उन्होंने मुझे कपडे से साफ़ किया मुझे दर्द की गोली दी मुझे आराम आया मैं उठ कर कड़ी हो गयी अंकल मुझे पीछे से देख रहे थे मैंने धीरे धीर चल पा रही थी मेरी गांड को आपस में रगड़ते देखकर उनका लोडा फिर तन गया और उन्होंने पीछे से मुझे जकड लिया और मुझे उलटी बिस्तर पर लेता दिया और मेरे ऊपर लेट कर थूक लगा लगा कर मेरे गांड के छेद को सह्साने लगे और फिर अपने लोडे को थूक से चूकना करके मेरी गांड के छेद पर टिका दिया और प्रेस कर ने लगे मुझे दर्द हुआ मैं चिल्लाई अंकल मेरे ऊपर लेट गए और मेरा मूह अपने हाथ से दबा लिया और जोर लगा कर उतार दिया पूरा का पूरा मेरे अन्दर मैं चटपटा रही थी उतना ही अंकल को मजा आ रहा था आधा घंटा मेरी गांड चोदने के बाद उनका विएर्य मेरी गांड में भर गया मैं बेहोश हो गयी पापा का फ़ोन आया ... बाकी की कहानी अगले पोस्ट में भेजूंगा आप बताइए आपको ये स्टोरी कैसी लगी 

Thursday, 12 May 2016

Balatkar part 2

अंकल ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर लेट गए और मेरे बूब्स और मेरे होंटो को चूसने लगे  फिर उन्होंने अपना लोढ़ा मेरी छूट पर रगड़ना शुरू कर दिया मैं मचलने लगी।  उनका सुपाड़ा  मेरी छोटी सी चूत के छेद पर रगड़ खा रहा था मेरा दिल चाह रहा था के पूरा अंदर ले लून भले हे मेरी छूट फट जाए फिर अंकल ने अपने लुंड का सुपाड़ा मेरी छूट पर टिकाया और धीरे धीरे प्रेस करने लगे बहुत टाइट फंस कर उनका सुपाड़ा मेरी छूट में लगभग एक इंच घुस गया मैं छटपटाने लगी अंकल ने मुझे पकड़ रहखा था मैं हिल भी नहीं पा रही थी मैंने कहा अंकल मुझे दर्द हो रहा है प्लीज छोड़ दो।  वो कहने लगे आज के बाद कभी दर्द नहीं होगा सिर्फ मजा आएगा और धीरे धीरे करके उन्होंने पूरा ११ इंच का लोढ़ा मेरे छूट के अंदर उतार दिया और ऐसे हे मेरे ऊपर लेट गए थोड़ी देर के बाद उन्होंने धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया मुझे मजा आने लगा मैं भी अंकल का साथ देने लगी लेकिन अंदर जगह इतनी टाइट थी के ऐसा लग रहा था सब कुछ फटने वाला है . फिर अंकल ने जोर जोर से धक्के लगने शुरू कर दिए फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बन दिया और मेरी गांड को चाटने लगे और अपने हाथो से मेरी गांड को प्रेस करने लगे और मेरी छूट में लोढ़ा दाल दिया मुझे दर्द हुआ मैं एकदम से बीएड पर गिर पड़ी अंकल भी मेरे ऊपर हे लेट गए और ऐसे हे धक्के लगने लगे अब मैं उलटी लेती थी और अंकल मेरे ऊपर पीठ पर सवार थे।  और फिर अंकल का गर्म वीर्य निकलने लगा अंकल की स्पीड तेज़ हो गयी और उन्होंने मेरी छूट को अपने गर्म वीर्य से भर दिया।  और ऐसे हे मेरे ऊपर लेट गए फिर वो मेरे पास लेट गए थोड़ी देर हम ऐसे हे लेते रहे मैंने कहा अंकल आपने बहुत गलत kiya मेरे साथ अंकल ने कहा कुछ गलत नहीं है मेरी jaan sab theek hai .. और करीब एक घंटे बाद अंकल ka फिर खड़ा हो गया और वो फिर शुरू हो गए।  और फिर ऐसे हे चलता रहा लगभग एक हफ्ते तक लेकिन वो मेरी गांड भी मारना चाहते थेय जब देखो मेरी गांड पर हे हाथ फिरते रहते थेय कभी मुझे अपनी गोद  में बिठा लेते और उनका लुंड मेरी गांड के नीचे खड़ा हो जाता था कई बार तो कपड़ो के अंदर से हे मेरी गांड में घुसाने लगते थेय लेकिन मैं उन्हों मना कर देती थे फिर एक दिन। ...................................... continued 

Wednesday, 11 May 2016

Uncle ne raat bhar mera balatkar kiya


हेलो दोस्तों मेरा नाम है राधिका शर्मा।  मैं दिल्ली रोहिल्ला से बिलोंग करती हूँ . मेरी उम्र अभी २३ साल है लेकिन मैं आपको अपने स्टोरी बताने जा रही हूँ जब मैं १६ साल की हो चुकी थी।  उस वक़्त मैं जवानी के जोश में मदोहोश बदन के साथ अपनी उम्र को छु रही थी।  मेरा यौवन बहुत हे आकर्षक हो चूका था भरा हुआ बदन।  मैं हमेशा खुद को आईने में देखा करती थी वो भी बिना कपड़ो के मुझे बहुत अच्छा लगता था।  मेरे पापा  के दोस्त अक्सर हमारे घर आया करते थेय काफी तगड़े लम्बे चोde थेय।  और घंटो तक रात को हम हंसी मजाक किया करते थेय।  फिर वो रात को पापा के साथ ड्रिंक करके चले जाते थेय।  स्कूल के बाद मैं अक्सर घर पर हे रहना पसंद करती थी मुझे ज्यादा बहार घूमना पसंद नहीं था।  एक दिन जब अंकल घर पर आये तो दरवाजा मैंने खोला मैंने लोअर और शार्ट शर्ट पहनी थी अंकल मुझे अजीब हे नजरो से देख रहे थेय उन्होंने मेरे सर पर हाथ रखकर कहा के कैसी हो बेटा मैंने कहा मैं ठीक हूँ अंकल फिर अंकल ने मेरे गालो को सहलाते हुए कहने लगे आपके पापा कहाँ है मैंने कहा पापा बाथरूम में हैं मम्मी कहना बना रही हैं. अंकल कहने लगे चलो फिर तब तक हम बातें करते हैं।  वो कहने लगे के आजकल आपकी पढाई कैसी चल रही है मैंने कहा सब ठीक है लेकिन मुझे बहुत दर लग रहा है उन्होंने मेरे कंधे को सहलाते हुए पुछा क्यों ऐसा क्या हुआ मैंने कहा मेरे एग्जाम  आने वाले हैं और मेरी मैथ्स की बिलकुल तैयारी नहीं है पापा भी मेरी हेल्प नहीं करते।  तो अंकल कहने लगे कोई बात नहीं मैं आपको अच्छे से पढ़ाऊंगा हम यहाँ बैठ कर गप्पे हे तो लड़ते हैं तोडा तुमको भी पढ़ा दिया करूंगा मैं खुश हो गयी।  इतने में पापा आ गए उन्होंने भी कह दिया के यर इसको थोड़ा पढ़ा दो  तो मेरे ऊपर अहसान हो जायेगा।  अंकल ने कहा अरे यर कोई बात नहीं इसमें क्या है मैं बिलकुल अच्छी तरह पढ़ा दूंगा।  फिर अंकल ने कहा के पहले हम कमरे में जाकर थोड़ी पढाई करेंगे फिर बातें करेंगे।  और हम लोग मेरे कमरे में चले गए।  अंकल बाद पर बैठ गए और मुझे मैथ्स की बुक लाने को कहा।  वो बैठ कर मुझे घूर रहे थेय पीछे से।  मेरी गांड काफी बाहर की और निकली थी इसलिए कोई भी नजरे हटा नहीं पाटा था।  मैंने सीसे से देखा तो अंकल की नजरें मेरी गांड पर हे तिकी हुई थी।  फिर मैं एकदम से पीछे पलटी तो अंकल थोड़े घबरा कर कहने लगे मिली नहीं क्या बुक .मैंने कहा मिल गयी और वो मुझे पढ़ने लगे।  और फिर मुझे कुछ समस करने को दिए मैंने काफी गलती कर दी तो वो कहने लगे के गलती पर सजा भी मिलेगी वर्ण आप जल्दी सीख नहीं पाओगी मैंने कहा नहीं प्लीज सजा मत दो।  अंकल कहने लगे के घबराओ मत ज्यादा कठिन सजा नहीं दूंगा।  वो कहने लगे के खड़े होकर अपने हाथ अपने पैरो पर टच करो थोड़ी देर तक बस इतनी सजा है।  मेरे हाथ घुटनो से थोड़े नीचे तक जा प रहे थेय क्योंकि मेरा बदन काफी भरा हुआ था मैंने कहा मुझसे नहीं होगा।  अंकल कहने लगे मैं हेल्प करता हूँ और वो मेरे पीछे खड़े होकर मेरे कंधो को धीरे धीरे प्रेस करने लगे और उनका मोटा लम्बा लोड मेरे गांड पर रगड़ने लगा मुझे काफी गर्म महसूस हो रहा था।  लेकिन अच्छा लग रहा था . अंकल ने थोड़ा और प्रेस किया तो मुझे दर्द होने लगा और मैं एकदम से कड़ी हो गयी तो अंकल ने मुझे पीछे से पकड़ लिया।  उनका लोढ़ा मेरी गांड के छेद पर फंस गया और वो कहने लगे क्या हुआ मैंने कहा छोड़ दो अंकल जी।  उन्होंने कहा के कोई बात नहीं आओ पढाई करते हैं उनका लोढ़ा खड़ा था फनफना रहा था मुझे दर भी लग रहा था और नजरें बार बार उनके लोडे पर हे जा रही थी . फिर अंकल कहने लगे बाकी की पढाई कल करेंगे मैंने कहाँ ठीक है।  लेकिन मैं उस पल को भूल नहीं पा रही थी जब उनको लोड मेरी गांड पर रगड़ रहा था।  हर रोज इसी तरह चलने लगा।  अंकल किसी न किसी बहने मेरी गांड पर कभी बूब्स पर हाथ फिरा दिया करते थेय। मेरे एग्जाम के २ दिन बच्चे थेय अंकल कहने लगे के कल मुझे कहीं जाना है इसलिए आज रात को मैं राधिका को अपने घर पर हे एक्स्ट्रा टाइम लेकर पढ़ा दूंगा।  मेरे पापा ने तुरंत हाँ कर दी।  मुझे थोड़ा डर लग रहा था।  लेकिन मैं अंकल के साथ चली गयी।  मैंने सोचा जो होगा देखा जायेगा।  मैंने स्कर्ट पहनी थी।  घर पर जाते हे अंकल ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मुझे गर्दन पर किश करने लगे मैंने कहा के अंकल क्या कर रहे हो वो कहने लगे के प्लीज आज रात मुझे मत रोको मैं जिंदगी भर आपका अहसान मानूंगा।  मुझे उन पर दया आ गयी मैंने सोचा चलो आज हो हे जाए कभी न कभी हो ये होना हे है। अंकल ने मेरी शर्ट उतार दी और मेरे बूब्स को पीने लगे और मेरी गांड को अपने हाथो से मसलने लगे।  मुझे भी काफी मजा आ रहा था।  फिर अंकल ने मेरी स्कर्ट भी उतर दी और मेरी छूट को चूसने लगे मेरी छूट से गर्म पानी की फुहार निकल रही थी और अंकल उसको पीते जा रहे थेय।  फिर मेरी गांड को चाटने लगे मेरी गांड के अंदर जीभ डाल डाल कर चोदने लगे।  फिर उन्होंने अपने कपडे उतर दिए पूरे के पूरे और उनका काला मोटा ११ इंच का लोढ़ा मेरे सामने फनफना रहा था मैं दर गयी।  अंकल ने मुझे अपनी बांहो में खींच लिया और मेरे होंठो को चूसने लगे उनका लोड मेरी टैंगो के बीच फंसा था बहुत ज्यादा सख्त और मोटा था।  मेरी छोटी सी छूट पर रगड़ खा रहा था और उसके गर्म लोहे जैसे स्पर्श से मैं मदहोश होती जा रही thi .
  ..........................................  अगला भाग जल्दी हे आपके सामने पेश करूंगी।